फक्कड़ बाबा का थेथरई सुन जागे मनसौखी
फक्कड़ बाबा- मनसौखी भाई यार दो दिन से सर बहुत खुजा रहा है यार बाल छोटा कर दो
मनसौखी - बाबा हो तो बाबा की तरह रहना चाहिए न!!! लौंडे की तरह बाल बढ़ाये हो
फक्कड़ बाबा- भोरे भोरे लगले ब्रह्मांड गरम करे। (लम्बी साँस लेने के बाद ) एक तो भगवान् धधकत बाड़े और एक तुम हो की
मनसौखी - अच्छा ! छील दे या छोटा कर दें
फक्कड़ बाबा- सेट कर भाई मनसौखी , कल साली आने वाली है
मनसौखी - दांत टूट गया ,गाल लटक गया ब्रम्हांड गरमे है उम्र ७० साल होआ गया अभी साली साली करते हो (ये कहते हुए मनसौखी नाई फक्कड़ बाबा के कपाट पर जोर से थपकी मारता है )
फक्कड़- अरे साला, इतना जोर से कोई मारता है मनसौखीया
मनसौखी - अरे ठंडा कर रहे थे न!!!
फक्कड़ बाबा - अरे प्रेम से न सर थप थपाते है की ऐसे किया जाता है की पूरा हिमालय हिल जाए।
मनसौखी - बताओगे भी छील दे या काट दे
फक्कड़- अबे सेट करो
(मनसौखी बड़ी तबियत से बाल कटाने लगता है की देखता है की सर के दोनों तरफ छोटा छोटा फुंसी और घाव बना हुआ है ये देख मनसौखी नाई पूछ बैठता है। )
मनसौखी - फक्कड़ यार ,आपके ब्रह्मांड पर दोनों तरफ फुंसी और छोटा छोटा घाव बना हुआ है मशीन से सेट कर दे क्या ?
फक्कड़ बाबा- मनसौखी भाई ऐसा बनाओ की घाव या फुंसी बाहर से न दिखे
मनसौखी - ठीक है लेकिन ये हुआ कैसे ?
फक्कड़ बाबा- जानते हो ये साला तब से खुजा रहा है जब से रूस और उक्रेन में लड़ाई चालू हुआ है।
मनसौखी - उससे इसका क्या कनेक्शन है बाबा !
फक्कड़ बाबा- जानते हो मनसौखी, इस देश के बारे में जितना गरीब सोचता है न ! उतना पढ़ा लिखा आदमी नहीं सोचता
मनसौखी -- ऐसा नहीं है बाबा
फक्कड़ बाबा - मनसौखी भाई एक बात बताओ तुम्हारा उधार मेरे पास है या नहीं
मनसौखी - छोड़ो भी यार , दोस्ती में पैसे की बात न करो
फक्कड़- शहर में ऐसा हो सकता है क्या ? उधारी के ऊपर उधारी बनिया देगा क्या ?
मनसौखी -- शहर का हिसाब किताब अलग है फक्क्ड़ बाबा....
फक्कड़ बाबा- यही तो हम कह रहे है कोई भी देश हो या समाज, उसकी जो आत्मा है न! वो गावं-गरीब के यहाँ ही बसता है।
मनसौखी - फक्कड़ बाबा अगर ऐसा होता तो क्या हम लोगो की ये दशा ये होता ! गावं में रोड कच्चा है लडके बेरोजगार है इनको पुलिस और सेना के अलावा कहीं कोई पूछता ही नहीं !
फक्कड़ बाबा- ऐसा नहीं है। हम जब काबिल होंगे तब न आगे जायेंगे!
मनसौखी - आखिर कैसे होंगे काबिल फक्कड़ ?
फक्कड़- काबिल तब होंगे जब जेब में पैसा होगा ! जब पैसा होगा तब ऊपर की पढ़ाई कर पाओगे ! तब जाकर अफसर बन पाओगे ! देख भाई मनसौखी हम लोगो के बच्चे पढ़ाई पर कम, कमाई पर ज्यादा ध्यान देते है इसीलिए ये साले पुलिस या सेना में नज़र आते है।
मनसौखी - वो तो ठीक है फक्कड़। अगर देश की आत्मा गावं और गरीबों में बसता है तो सेना में जाना हमारे लिए गर्व की बात है।
फक्कड़ बाबा- हां सही कहते हो पैसा तो कहीं भी कमाया जा सकता है पर देश की सेवा से बड़ा कोई सेवा नहीं है।
(फक्कड़ कुछ देर शांत होने के बाद बहुत गंभीर बात बोल देते है जो विचारणीय है )
फक्कड़ बाबा- तुम नहीं न जानते हो मनसौखी भाई, देखो कोई भी देश अमिर तभी कहलायेगा जब गावं का गरीब, अमीर मतलब नौकरी या पेशा वाला नहीं बन जाता, विकसित राष्ट्र तब तक नहीं कहलायेगा जब तक गावं में बुनियादी ढाँचे का निर्माण नहीं होता। मनसौखी भाई देखते हो शहर में हमेशा सड़क बनता है, बिजली चौबीसो घंटे रहता है, स्कूल कॉलेज कल कारखाना सब तो शहर में ही है , गावं में क्या है ! ये तो छुपा है नहीं !!!
मनसौखी- तुम सोचते बहुत हो, तुम्हारे अंदर देशभक्ति कूट कूट कर है बाबा, तुम्हे तो फ़ौज में होना चाहिए था पर हमेशा छेड़खानी में व्यस्त थे
फक्कड़- वो समय उहे ठीक लागत रहे ओकरे सजा बा सारे
मनसौखी- बाबा बताये नहीं यार की तुम्हारे ब्रमांड पर छोटा छोटा.....
(तभी मनसौखी की बात काट देते है )
फक्कड़- रूस यूक्रेन का जब युद्ध सुरु हुआ न! तब हकलहवा साला कहलस की इ युद्ध २४ घण्टा भी नहीं चलेगा !
(तभी मनसौखी, फक्कड़ की बात काट देते है )
मनसौखी - बाबा... 1 साल से ऊपर हो गया और अभी तक युद्ध हो ही रहा है !
फक्कड़ बाबा- पुरनिया लोग कहत रहन की घाव ढेर दिना छोड़ देहले प कैंसर हो जा ला
(सर को ठोकते हुए मनसौखी पूछ बैठा )
मनसौखी - जब जानते ही हो तो अपने इस ब्रमांड का इलाज क्यों नहीं कराते ?
फक्कड़- ये धरती प आबादी ढेर हो गईल बा, जनले... मरे द सारन के.. कवन हमरा यहाँ आग लागल बा
मनसौखी - तुम्हारे ब्रमांड में यूक्रेन और रूस का युद्ध घर बना लिया है बाबा ......सब ठीक हो रहा न!
फक्कड़- देख मनसौखी भाई, ये धरती प ज्ञानी ना, महाज्ञानी ढेर हो गईल बाने। जवन भी सरकार आवत बा, ओ सरकार उहे कमवा करत बा जवन ना करे के चाही
मनसौखी- आपके दोस्त मोदी तो बहुत बड़ी बड़ी बात करते है वो भी वही काम करते है ?
फक्कड़ बाबा - इ साला त मय जना के फेल कइले बा... विकाश के नाम प सर्वनाश कईले बा
मनसौखी- अपने दोस्त को ऐसे नहीं कहते बाबा
फक्कड़ बाबा - तुम नहीं न जानता है ओकरा हाल, सुनबे नू... लगबे हिले... मूर्छित हो जईबे
मनसौखी- क्या बाबा (मनसौखी फक्कड़ बाबा को चढ़ाते हुए), आपके दोस्त जापान फ्रांस से कितना बड़ा बड़ा सौदा कर दिए है की सौ सौ साल तक कोई देश पर आँख नहीं तरेरेगा
फक्कड़- अरे मनसौखी, तू साले इहे देखबे करबा , तू क साल और जियेबे !
मनसौखी- इ हम कैसे बताये
फक्कड़ - नहीं बताओ , १० साल २० साल ४० साल कितना दिन धरती के बोझ रहबे
मनसौखी- का बाबा, तू यार बवासीर बन गए है, अरे भाई बहुत होई २० साल और चली आदमी , उमर हो गया है न बाबा
फक्कड़- तब इ बताओ तुमको बैंक अब लोन देगा !
मनसौखी- ना ना। .. उमर देखते ही समझा जायेगा की इ विकेट कभी भी गिर जायेगा
फक्कड़- इतना साले बुझात बा, इ नइखे बुझात की,, सारे १०० साल खातिर कर्ज़ा लेत बाढ़े, त उ के भरी! सारे जनता के चूतिया बनवले बाने
मनसौखी- बाबा, तभी तो जनता उनको ही चाहती है
फक्कड़- जब भोगल लिखल बा त हमरा बात को कोई समझेगा !
मनसौखी- सही कहे बाबा, ये समय त इ जहर लागि
फक्कड़- लागे द, एगो कहावत बा न, जब गदही प दिल आ जाई त परी किस बात की |
डेढ़ सौ करोड़ जनता बा, मय जनता प मोदिया एक एक लाख के कर्ज़ा लाद के सारे चल जहियें अपना गंगा माई भीरी | बाकि डेढ़ सौ करोड़ जनता सौ साल तक बजावस घंटी, थरिया, लोटा ....
मनसौखी- बाबा आप ज्ञानी न महाज्ञानी है आप २५० साल के गणित समझा दिए पर जनता बहुत भावुक है उनको तो फ्री में खाने का आदत है
फक्कड़ - खाये द खाये द.... इ पीढ़ी ना समझी आये वाला पीढ़ी जिए से पहिलेही सुसाईड कर लिही, आवत बा समय
मनसौखी- आपके ब्रम्हांड को समझाना बहुत मुश्किल है बाबा
फक्कड़- (हँसते हुए) जैसी करनी वैसी भरनी मनसौखी, ए समय बोलला प लागिहं गारी देवे, ओकरा से बढ़िया बा, अउर चढ़े दे !!! दारुबाज के दारु पीएला के नुकसान मत बताव बल्कि और पिलाव, जब ले सारे नाक मुहं थुरा न जाए |
मनसौखी और फक्कड़ दोनों अब वापस घर को जाते है
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