खतरा भी बन गया है सुख दुख का अंग
हर बात मानूंगा उनकी
पर मेरी भी एक बार, बात सुन लो
तुम हिन्दू हो, तुम खतरे में हो
तुम मारे जाओगे, तुम ख़त्म हो जाओगे
सब सूना हूँ और सुन भी रहा हूँ
पर बात भी तुम मेरी , एक बार सुन लो
जिस दिन हिन्दू नहीं रहेगा इस धरती पर
उस दिन इस धरती पर
न प्रकृति रहेगी न मोह रहेगी
न माया रहेगा इस धरती पर
हिन्दू है तो प्रकृति है
हमारा जन्मो जनम से नाता है इस धरती से
धरती अगर मेरी मां है तो अम्बर मेरे पिता है
हम चाँद सा शीतल है तो सूरज सा गरम भी है
हम बिन तार का आस्था रखते है उनसे
हमे तो इतनी शक्ति दे रखी उन्होंने
हम बना सकते है तो नष्ट भी कर सकते है
बार बार ये न दोहराओ की
हिन्दू है खतरे में
हिन्दू खतरे में न था, न है और न रहेगा
अगर तुम सही होते तो
आज ये हिन्दू मुश्लिम नहीं होता
अगर तुम सही होते तो
गरीब, बेरोजगार हिन्दू मारा मारा नहीं फिरता
अगर तुम सही होते तो
सड़क किनारे असहाय गरीब हाथ फैलाये न मिलता
अगर तुम सही होते तो
गाव, शहर से ज्यादा चमकीला होता
अगर तुम सही होते तो
शहर का कचरा गावं में न होता
अगर तुम सही होते तो
हर हाथ रोजगार मशाल लिए होता
फिर भी कहते फिरते हो
हिन्दू है खतरे में
हिन्दुओं को खतरा उनसे कम, ज्यादा तुम सब से है
तुम सत्ता के लिए हर दिन जहर उगलते हो
तुम सत्ता के लिए हर दिन हमे बेवकूफ बनाते हो
तुम कहते हो हिन्दू है खतरे में
खतरे का भय हमें दिखा कर
तुम मड़ई से महल चले गए हो
खतरे का भय हमें दिखा कर
तुम सायकिल छोड़, थार से चल रहे हो
अब न बोलो आगे से
आज सुन लो अनपढ़ नेता जाहिल लोगों
अब नहीं लगता खतरे से डर
खतरा भी बन गया है सुख दुख का अंग
खतरा भी बन गया है सुख दुख का अंग

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