"कोई करामात ही नीतीश सरकार को जीतने से रोक सकता है।"
एनडीए में होते हुए नीतीश कुमार ने इंडिया (एआईएनडीए) का गठन कर बीजेपी को विपक्ष में बैठाने का जज्बा रखते है। जबकि बीजेपी संख्या बल में भले ही अधिक हो लेकिन बिहार की राज
नीति में नीतीश जैसा सिकन्दर होना मुश्किल दिखता है। जो बीजेपी और राजद को अपनी ऊंगली पर नचाने का मादा रखता हो, उसे हराना या कुर्सी से बेदखल करना राजद और कांग्रेस के लिए नामुमकिन सा है।
यद्यपि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गाँधी ने बिहार में पदयात्रा कर राजद से ज्यादा कांग्रेस को एकबार पुनः स्थापित करने का महत्वपुर्ण सराहनीय कार्य किया है। चूंकि बिहार में भले ही एनडीए सरकार बना ले लेकिन इसबार ये आसान भी नहीं दिखता। जिस उम्मीद से विपक्षी रैली और जनता का झुकाव देखने को मिलरहा है उससे एनडीए सरकार खड़बड़ाई जरूर है वरना चुनाव से पूर्व नीतीश कुमार बिहारीयो को एक के बाद एक तोहफा नहीं देते! तो वही मोदी जी भी तमाम योजना के साथ साथ अपने माँ को याद कर भावुक भाषण नहीं देते। बिहार की जनता पीएम मोदी की बातों में भले ही न आये लेकिन राजद की पूर्व सरकार के समय बिहार की दुर्दशा को आज भी याद रखी है जिसे हमने भी झेला है।
बीस बीस साल तक बिहार में सरकार बनाकर चलाने वाले लालू प्रसाद यादव से नीतीश कुमार का पलड़ा काफी भारी इसलिए भी है क्योंकि कि राजद के समय एक बिरादरी वहाँ के लोगों को सकुन की सांस भी लेने नहीं देती थी। चोरी छिनैती डकैती आम घटना थी। अतीत की बात को भूलना मतलब नयी पीढ़ी द्वारा बिहार में बदलाव लाना ही एकमात्र मकसद।
बिहार में अगर सत्ता बदलती है तो ये केंद्र सरकार की विफलता होगी और अगर एनडीए जीतती है तो उसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है क्योंकि नीतीश कुमार पीछड़े वर्ग के वो नेता या सीएम है जिन्होंने बिहार में अपराध की चरम सीमा को काबू करने, भ्रष्टाचार सुधारने, विकास को गति देने और सबसे ज्यादा जनता का विश्वास जीत कर सुशासन स्थापित करने वाले कहे जाते हैं।
जयहिंद ✍️


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