यारों की जाल में फॅसे बाबा फक्कड़
फक्कड़ बाबा जिस गावं में रहते थे उसी गावं के बेबाक बात बोलने वाले लाला घुमक्कड़ भी रहने वाले थे | उस गावं में रहने वाले जितने भी लोग थे उनके नाम से ही लोग पहचान जाते थे | फक्कड़ का कब दिमाग घूम जाये किसी को पता नहीं वही मनसौखी नाई जो बिन गड्ढे को गड्ढा करने वाला दिमाग रखता था यानी लोगो को चढ़ा चढ़ा कर सब बात उगलवा लेता था | मनसौखी नाई की दुकान एक तरह से पुरे पंचायत का खबर रखने वाला अड्डा था | अब रही बात लाला घुमक्कड़ की तो जैसा नाम वैसा काम | लाला दिन भर घुमा करते थे जहाँ बैठ जाए क्या मज़ाल की वहां बैठे लोग आसानी से निकल जाये | घुमक्कड़ हमेशा भोजपुरी बोला करते थे लोगो को भी उनकी भाषा अच्छी लगती थी | फक्कड़ का बैठकिया अड्डा था मनसौखी नाई की दुकान, फक्कड़ और मनसौखी आपस ने बात कर ही रहे थे की पड़ोस के गावं का बनारसी दिखा पड़ा जो फक्कड़ के हमउम्र का था बनारसी के साथ घुमक्कड़ भी थे | फक्कड़ बाबा बनारसी को आवाज देकर अपनी और आने का इशारा कर दिए| बनारसी के पीछे पीछे लाला घुमक्कड़ भी चले गए|
घुमक्कड़ - बनारसी भाई जी, इ फक्कड़वा काहे को बुलाता है
बनारसी- कोई काम होगा !
घुमक्कड़- बबवा के कवनो काम वाम नाही बा, दिनभर नउवा के दुकान प बईठ के बक्तुति करे ला
बनारसी- काम होता तो न !
(आपसी बात चित करते हुए फक्कड़ के पास पहुंच गए )
फक्कड़- बनारसी भाई बड़ा टिप टॉप में !!! ससुराल से आ रहे हो क्या ?
बनारसी- नहीं यार, अब पचासा बीत चुका है फक्कड़ बाबा
मनसौखी- अरे साली वाली तो होगी न !
फक्कड़- साली क्या बनारसी भाई के लिए कुंवारी थोड़े ही बैठेंगी होंगी!
बनारसी- अबे जब उम्र था तब की बात कुछ और थी वैसे भी फक्कड़ बाबा की पांच पांच शालियाँ थी |
घुमक्कड़- त का , कुल शाली बाबा के दहेज़ में मिलल रहिसन
फक्कड़ बाबा के मन में उथल पुथल होने लगा मन ही मन खुश होने लगे
मनसौखी - फक्कड़ बाबा पुराने खिलाड़ी है सौ पंचायत की लडकियां बाबा के देख के मस्त हो जाती थी
बनारसी- फक्कड़ बाबा तुम कितनी लड़कियों से चक्कर चलाये थे
फक्कड़- छोड़ यार पुरानी बात
घुमक्कड़- पिंकिया के बाप बीच सड़क पे इनका के खूबे न पूजा था वैसे फक्कड़वा तू कइले का रहे
फक्कड़- जानते हो उस समय पिंकिया हमको खूब चाहती थी हम भी रसगुल्ला के पीछे पीछे लगे रहते थे | पिंकिया के चक्कर में सुबह से शाम तक खूब न डंड मारते थे | एक दिन उसके घर की और चले गए | पिंकिया छत पर जा कर हमको इशारा कर रही थी | हमारा मति जो मारया था हमको लगा की वो कह रही की घर में कोई नहीं है | हम मौके की ताक में थे सो चले गए .....
घुमक्कड़- इ साले बाबा हवन |
फक्कड़- ललई मत कर लाला, साले दिन भर सौ रोटी खाते हो उसके बाद भी भिखमंगा की तरह ला ला मांगते हो
मनसौखी - अरे घुमक्कड़ भाई , फक्कड़ बाबा अपनी प्रेम कथा बताय रहे है बिच में टोका टोकि न करो
बनारसी- सही बात है | वैसे भी फक्कड़ बाबा को कौन नहीं जनता | जितना मान सम्मान फक्कड़ बाबा का है उतना लंगटू मिश्र का भी नहीं है |
मनसौखी - अरे जितना मंत्र फक्कड़ बाबा जानते है उतना तो क्या उसका आधा भी लंगटू मिशिर को नहीं आता | बस फक्कड़ बाबा बकलोली नहीं करते वरना हमारे नयी की दूकान पर रहते | फक्कड़ बाबा उसके बाद क्या हुआ
(फक्कड़ को अब सभी मिल कर चढ़ाने लगते है )
फक्कड़- हुआ क्या सालों, तुम लोगो की वजह से मेरी धुनाई हो गयी
मनसौखी- हम लोगो की वजह से ये क्या बोल रहे हो फक्कड़ भाई !
फक्कड़ - जानते हो उसके बाद क्या हुआ (फक्कड़ शांत भाव से ) हम क्या किये! पिंकिया के घर चले गए फिर धीरे से दरवाजा ठक ठक किये ताकि कोई सुन न ले, भाई उस समय आज कल की तरह नहीं न खुल्लम खुल्ला होता था |
मनसौखी- सही बात है आज कल तो नंगई है बाबा, उस समय चोरी चोरी प्यार करने का मज़ा ही कुछ और था |
घुमक्कड़- ओकरे बाद का भईल फक्क्ड़वा
फक्कड़- भईल का लाला, हम तो मने मन खुश थे लेकिन हुआ ये की जैसे ही दरवाजा खुला| सामने सात फुट लम्बा चौड़ा कद काठी का उसके बाप दिखे | उसके बाप को देखते ही हमारा प्राण सुख गया लाला , अब तो हमारा प्यार व्यार दक्षिण लग गया
घुमक्कड़- ओकर बाप के देख के मूत ना न देहले !
फक्कड़- समझ लो मूत ही दिए थे घुमक्कड़ लाला
मनसौखी- अरे घुमक्कड़ लाला, फक्कड़ बाबा कोई कमजोर थोड़े ही थे हाँ ये बात अलग है तुम रहते तो जरूर पखाना कर दिए होते
फक्कड़- उसके बाप को सामने देखते ही हम जैसे ही भागने की कोशिश किये वैसे ही उसके बाप ने हमको दौड़ा लिया | हम कुछ दूर दौड़ने के बाद रुक गए तो पीछे मुड़ कर देखे तो उसका बाप मेरे सर के पास खड़ा था | पिंकिया के बाप ने हमारा कालर पकड़ कर खड़ा ऐसे कर दिया जैसे कुत्ते का कान पकड़ का खड़ा किया जाता है | दर्द के मारे फटा हुआ था तभी वो बोले की ये शरीफों का इलाका है आज के बाद दिखे तो हाथ पैर तोड़ कर सामने रख देंगे | साले ने पीछे से एक धक्का ऐसा मारा की दस फ़ीट दुर फेका गए | उसके बाद वो वापस जाने लगा
मनसौखी- बहुत गलत हुआ फक्कड़ भाई , खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोडा बारह आने का
बनारसी- हाँ भाई, यही हाल हो गया, हम होते तो जी भर गरियाते
घुमक्कड़- हम रहती न! सौ लात जुटा खईति लेकिन खेला जरूर कर अईती फक्कड़वा
फक्कड़- साला जाते जाते वही तकिया कलाम बोले जा रहा था शरीफो का मोहल्ला, शरीफो का मोहल्ला
घुमक्कड़- गनीमत रहे फक्कड़वा उतने प छोड़ देहलस
(फक्कड़ अपना शरीर को ऐंठते हुए बोला )
फक्कड़- अरे हम क्या कम रहे .... जैसे ही उसका बाप कुछ दूर गया तभी हम जोर से बोल दिए ,कुत्तों का भी मुहल्ला होता है चचुआ
मनसौखी- अरे बाप रे बाप , तब ...
फक्कड़- तब क्या, इतना बोलना ही था की साला हमको दौड़ा लिया | हम आगे आगे वो पीछे पीछे , वो पीछे पीछे हम आगे आगे | अंत में साला हमको पकड़ ही लिया, साला हमको इतना कुचा, इतना कुचा की साला चलने लायक भी नहीं छोड़ा |
मनसौखी- मार के मुहं बाबा के टेड कर दिया था समझे बनारसी भाई
फक्कड़- एक हफ्ता घर से नहीं निकले, बाऊ माई पूछते रहे कौन मारा? क्यों मारा ? हम चू से चा तक नहीं किया
ये बात सुन सभी खूब जोर जोर से हसने लगे
फक्कड़ - वो दिन के भइया लात खाने के बाद से पिंकिया के पापा रात में भी सपना में आने लगे (सर पर हाथ फेरते हुए )
घुमक्कड़-जानत बड़अ, हमरा लागत बा, एकरा के तबियत से धोले रहे तबे न निन्दियों में आवत रहे |
मनसौखी- अच्छा एक बात बताओ फक्कड़ भाई, फिर पिंकिया से मिले या नहीं (मटकी मारते हुए )
फक्कड़- न... न, साला दिन में भी पिंकिया को देखते ही उसका बाप दिखाई देने लगता था ( गाली बकते हुए )
बनारसी- इसीलिए हम कहते है जब फल पक जाये तब खाओ तो उसका आनंद मिलता है , कच्चा खाने का मतलब गच्चा खाना
मनसौखी- यही कहना चाहते हो न ! की बाबा गच्चा खा गए बनारसी भाई
बनारसी- और नहीं तो क्या, जब इनके बाप को पता चला तो इसके फुफ्फा को इसके शादी की जिम्मेदारी जो दे दिए थे | फक्कड़ बाबा, पिंकिया को भूल गए थे शाली जो खूबसूरत मिली
(साली की बात सुनते ही फक्कड़ भिन्ना उठाते है)
फक्कड़- अरे भाड़ में जाये शाली वाली | हमारी मति जो मराई थी जो फुफवा के चक्कर में शादी कर लिए
मनसौखी- फुफवा तुम्हारी शादी नहीं ,षड़यंत्र रचाया था हमको अच्छी से याद है
( फक्कड़ खुश होकर ताली पीटते हुए बोलते है )
फक्कड़- शादी के समय फुफवा बोलै की तुम्हारी सात शाली है हम भी खूबे न खुश थे मब ही मन लट्टू थे, लेकिन फुफवा हमको फसा दिया
मनसौखी- फुफवा ऐसा होते ही है
फक्कड़- साला हम हीरोहोंडा गाडी मांगे थे दहेज़ में, तब हमारा फुफवा बोला की कमाते नहीं हो तेल कहाँ से भरवाओगे? हीरो जेट ले लो .... बिना तेल का चलता है , जब तक रहेगा दम , तब तक चलता रहेगा हरदम
मनसौखी- अरे हाँ... तुम खिचड़ी खा नहीं रहे थे मंडप में... गाडी के चक्कर में |
फक्कड़- हाँ वही तो, हम फुफवा का बात नहीं समझ पाए उस समय हीरो जेट सायकिल का नाम था हमको हीरो हौंडा और हीरो जेट में अंतर समझ नहीं आया जो फुफवा बोलै हम वही बोल दिए थे | साले सभी मिलकर षड्यंत्र कर दिए थे |
मनसौखी- बहुत बुरा हुआ फक्कड़ भाई, बाप के सामने ब्रमांड भी काम नहीं किया
फक्कड़- साला खिचड़ी खाते समय हमारे ससुर हीरो जेट सायकिल ऐसे खड़ा कर के मुछ ऐठ रहे थे मनो बुलेट हमको दे दिए हो
मनसौखी- फुफवा सहिये बोला था जब तक रहेगा दम , तब तक चलता रहेगा हरदम
घुमक्कड़- जवानी की आग में भभकल रहअ, फुफवा दुन्नों गाडी बिना तेल वाला दे देहलस तोहके | जब तक रही दम , तब तक चलत रही हरदम | चलावत चलावत घिस जईबे बबवा
इस तरह फक्कड़ अपनी जीवन की पहली प्रेम कथा पूरी रोचकता से सूना देते है दरअसल फक्कड़ के सोच के विपरीत ससुराल मिला था मज़ा की जगह सजा मिल गया था | फक्कड़ के ससुर का बेसमय स्वर्गवास हो गया तब फक्कड़ बाबा अपनी सभी सालियों की शादी विवाह की जिम्मेदारी ले ली थी, सो निभाया भी | फक्कड़ बाबा दिल के साफ़ इंसान थे , जो भी कहना होता वो साफ साफ कह देते थे आगे पीछे की बात की परवाह किये बगैर |
नोट - सभी चित्र गूगल से लिए गए है
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