फक्कड़ के दोस्त निकले मोदी 

मनसौखी नाई की दूकान पर फक्कड़ बाबा बड़े ही ख़ुशी ख़ुशी भागे दौड़े आये 

मनसौखी- अरे फक्कड़ बाबा इतना ख़ुशी तो आज तक आपके चेहरे पर देखे नहीं ! क्या बात है 

फक्कड़- अरे मनसौखी भाई आज हमारा लंगोटिया दोस्त दिल्ली से अभी अभी फ़ोन किया था हमसे मिलाने का उसको मन किया है 

मनसौखी- अबे फक्कड़ मन उसका किया है तो उसे आना चाहिए न 



फक्कड़- अरे उसको टाइम नहीं है इसीलिए हमको बुलाया है 

मनसौखी- आखिर जरूर कोई खास यही तभी मने मन लड्डू फुट रहा है 

( इसी बीच घासी चला आता है )

घासी- कक्कक्या बबबबात है फकफकफफक्कड़ बाबा, कको को कोई लम्बा जजजमान मिल गए क्या ? (हकलाते हुए )

मनसौखी- अरे नहीं, फक्कड़ बाबा के लंगोटिया दोस्त दिल्ली से फ़ोन किये थे  

घासी- ययये तो बहुत कक्खख़ुशी की बात है दोदोदोस्त हो तो ऐसा 

फक्कड़- अरे मनसौखी भाई, मेरे दोस्त का नाम सुनोगे तो दिमाग घूम जायेगा 

मनसौखी- ऐसा क्या फक्कड़ बाबा!

फक्कड़- अब देख भाई मनसौखी, आज बाल दाढ़ी दोनों बनाओ, साला बहुते खुजा रहा है यार 

मनसौखी-  दो दो महीने पर दाढ़ी बाल बनवाओगे तो क्या रेशम की तरह रहेगा बाबा, खुजेगा ही  

फक्कड़- तुम तो जानते ही हो , मेरी पुरानी आदत है आज मन खुश है मनसौखी भाई जल्दी बना दो 

मनसौखी- मंद मंद तो खूब मुस्किया रहे हो लो

घासी- ययययार अपने दोस्त कक्का पपरिचय बबताओ 

(फक्कड़ बाबा बेहद खुश होकर बोले )

फक्कड़- आज दिल्ली से मोदीजी हमको फ़ोन किये थे 

मनसौखी- क्या !  मोदी 

फक्कड़- हाँ हो, दिल्ली वाले मोदी 

घासी- बबबक

मनसौखी- वैसे फक्कड़ भाई मोदी जी का आधा माथा तो गड़बड़ हो चूका है 

फक्कड़- माथा आधा या पूरा चौपट हो गया हो मनसौखी भाई, अपने से क्या, आखिर 140 करोड़ जनता उनको  चौकीदार बनाई है तो कुछ तो होगा न !!!

मनसौखी- 140 करोड़ जनता अगर उनको चौकीदार बनायी होती तो विपक्ष होता क्या ?

फक्कड़- अरे भाई मनसौखी, विपक्ष है कहाँ ! हमारे मोदी जी विपक्ष का धोती ही खोल चुके है | 

( मनसौखी बाल बनाते हुए फक्कड़ बाबा को चढ़ाते हुए )

मनसौखी- फक्कड़ भाई मोदी जी से मिलने पर पूछना एक बात यार 

फक्कड़- वो क्या ?

मनसौखी- यही की जुमला बोलने का ट्रेनिंग कहाँ से लिए थे ?

फक्कड़- साले खोद-खोद कर पूछने का खानदानी ठेका तुम्हारे पास है  ! पेट की बात तो तुम उगलवा लेते हो,    अरे भाई वो हमारा लंगोटिया मित्र है बचपन में हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे !

मनसौखी- अच्छा, तब तो तुम मोदी का चाय पिए ही होंगे ! 

फक्कड़- छोडो वो सब बात मनसौखी , वो चाय कहाँ बेचता था ?   

मनसौखी- अरे कैसे छोड़े, बचपन वाली बात, आखिर तुम्हारा दोस्त जो ठहरा 

फक्कड़- एक बात तो है की साला बचपने में झूठ बोलता था | इतना लम्बा लम्बा हांकता था की मास्टर भी फेरा में फंस जाये | 

मनसौखी- वही तो यार तुमको बोल रहे है तो हमको उल्टे गरिया रहे हो , अब तुम्हारे ब्रह्माण्ड पर एक और नया पिंड निकल रहा है जरूर इसमें कुछ है !!!

फक्कड़- हा हां हा  है न ! जानते हो मनसौखी, एक बार की बात है हम और मोदी दोनों अगल बगल स्कूल में बैठे थे तभी राम नाथ राम मास्टर साहेब आ गए | मास्टर साहेब मोदी से एक सवाल पूछे की बताओ मोदी ? मोदी खड़ा हो गए , मोदी KA एक हाथ निचे दूसरे हाथ से पेंट पकड़े थे |

मनसौखी- मोदी पैंट काहे पकडे थे ?

(फक्कड़ बाबा भोजपुरी में बोलने लगते है )

फक्क्ड़- अरे तू नहीं न जानता | वो समय पैंट कुरता स्वेटर सब न स्कूल से मिलता था फ्री में ! तोरा न मिलल रहे का ! .....

मनसौखी-- मिलत रहे  

फक्कड़- जब छोट छोट रहीं न ! त हमनी के पापा बड़ बड़ पैंट दिया देत रहन 

मनसौखी- वो क्यों फक्कड़ ?

फक्कड़- पहिले के लोग बहुत दूर के सोचत रहले, महाभारत में जैसे संजय रहन, उनका इतना ज्ञान रहे की, युद्ध होता बा ओने, और आन्हर धृतराष्ट्र के आँखो देखा हाल सुना देत रहन !  

मनसौखी- अरे बाप रे इतना ज्ञानी रहन 

फक्क्ड़- तो तुम क्या सोचता है, हमनी के बाप कौनों कम रहन ! हमनी के आठ साल के रही त सोचले की दिन ब दिन एहनी के बढ़बे करिहन त एक्के हाली बारह साल वाला लडकन के साइज वाला कपड़ा ले लेबे का, जानत बाड़े वो समय  बहुत गरीबी न रहे सारे 

मनसौखी-- हम त पांच साल तक लंगटे घुमत रहीं 

फक्कड़- अरे साले, कहीं मियां न न बन गइले 

मनसौखी- N N N

फक्कड़- रही जा हमनी के छोट छोट ,  उमिर रहे आठ साल के , त फोकट वाला सरकारी कपड़वा जब बटे, त हमनी के बाप ले लेस बारह साल वाला लड़का के

मनसौखी-- ढीलढाल 


फक्कड़- हाँ, उ साला एक हाथ पे बस्ता पकड़ले रही जा दूसर हाथ से पैंट 

मनसौखी-- बेल्ट लगा लेना चाहिए था 

फक्कड़- उ समय बेल्ट के नाम तू जानत रहस !!! (प्रश्न दागते हुए )

मनसौखी-- ना न ! 

फक्कड़- त साले ! (गुस्से में)

मनसौखी--समझ गए फक्कड़ भाई, आगे बताओ उस समय तो हम बेल्ट का नाम भी नहीं जानते थे !!!

फक्कड़- अब अइले लाइन पे, त सुन ,सारे लंगटे घुमत रहन ....

मनसौखी- हम त बचपने से बाप के साथ नाई का काम सिख रहे थे न !!!  

फक्कड़- तोर त  इ खानदानी पेशा ह | आगे इ भइल की मस्टरवा जब अइले क्लास में ,  अवते अवते मोदिया के सामने खड़ा हो गईले| सामने मास्टर साहेब अउर हाथ में बेहया के डंडा, इ देख अब त मोदिया लगले सारे पीछे से हवा छोड़े।



मनसौखी- वो क्यों 

फक्कड़ - मस्टरवा मरखाह रहे, खूबे न पीटे , मस्टरवा हमरा ओर देखलन, अउर मोदिया के इशारा से खड़ा कर देहलन   

मनसौखी- तोरा ओर जब देखत रहन, तूहों त ढील हो गईल होबे , तब का भईल  ?

फक्कड़- तब का ! एक हाथ निचे दूसर हाथ पैन्ट पकड़ले रहलन , तब्बे मास्टर साहेब पूछ देहलन चलो बेटा मोदी बताओ  - हमारे देश के राष्ट्रपिता का क्या नाम है ?

फक्कड़-  मोदी सारे लगले ऐने ओने देखे तब डरत डरत धीरे से कुछ बोलले, मस्टरवा के सुनायी न पड़ल, त खूब जोर से डटले 

 मनसौखी-- तब 

फक्कड़- डांट सुनत मोदी दुन्नो हाथ से कान पकड़ लेहले आउर बोले के रहे महात्मा गाँधी त बोल देहले आपन बाप के नाम दामोदर 

मनसौखी- ये क्या बोले फक्कड़ भाई !

फक्कड़- इतना त सुनले ही रहन की मास्टर ताड़ से पीछे एक डंडा धर देहलन | एक डंडा लागत सरे लागले माई माई रामचरित मानस  KE श्लोक वांचे .....    , मास्टर साहेब फिर पुछलन की बताओ बालक ने डाकुओं को अशर्फियों का पता क्यों बता दिया ? 

मनसौखी-- तब 

फक्कड़- तब का! दुन्नो हाथ से सरे पिछवाड़ा सोहरावत रहन अउर बोलले रोअत रोअत - बालक ने अशर्फियों का पता इसलिए बता दिया की उसकी मां ने कहा था की .........सारे अटक गईले त मास्टर सोचले की कुछ भुलात बा , त बड़ा प्यार से कहले - बताओ बताओ तुम नाम करेगा  

बड़ा ताव से मोदिया बोल देहलस झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है वही तुम्हारा बाप है| अरे बाप रे बाप..... इ मोदी के पैंट त खुलले रहे, मार बेंत मार बेंत इतना मरले नु की, उनकर पीछे के बोनट हिल गईल                       

मनसौखी- किसी का भी हिल ही जाएगा फक्कड़ भाई 

फक्कड़- लाल पीला मास्टर राम नाथ राम मास्टर कहले अब तुम दोनों हाथ ऊपर करो बद्तमीज़ 

मनसौखी- आगे 

फक्कड़- आगे का बताई ! जब दुनू हाथ ऊपर करस त पेंट सारे के निचे सरक जाए, अब त, निचे ऊपर-नीचे ऊपर करत रहन, मास्टर साहब हंस देहलन, मास्टर कहले - मोदी हमने तुम जैसा छात्र आज तक नहीं देखा, सायद आगे भी नहीं देख पाएंगे | जाते जाते मस्टरवा कहले रहे की तुम जब भी सामने वाले KO कमजोर देखोगे तो सीना खोल दोगे और जब मजबूत देखोगे तो इसीतरह पैंट खोल दोगे      

मनसौखी- अरे बाप रे बाप, बचपन वाला बात आज सच्च साबित हो रहा है फक्कड़ 

फक्कड़-  वो समय उनकर खुलल रहे अब १४० करोड़ लोग के खुलल बा, अब बताओ की आगे ओकरा से पूछे लायक कुछ रह गईल बा | 

मनसौखी- न ना फक्कड़ भाई| असली दोस्त का यही न निशानी है फक्कड़ भाई | कहे ही थे की हम न खाएंगे न ही खाने देंगे | फक्कड़ भाई लो बाल बन गया पैसा निकालो 

फक्कड़- साले फ़ोकट में मोदी चालीसा सुनयनी ह | हमरे पैसा निकलत बा मनसौखी , आगे से पैसा के बात मत करीह | 

( इस तरह फक्कड़ बाबा बल दाढ़ी बनवा कर चले गए मनसौखी नाई सब जानते हुए भी खुश था आखिर दोस्त जो ठहरा | )

घासी-  ये ये ससाला न्ननौटंकी, झूठ बबोल रहा है मनसौखी भाई, दददेखना ये कहीं नहीं जायेगा

नोट- इस कहानी से किसी का कोई सम्बन्ध नहीं है इस कहानी को मनोरंजन के लिए हास्य व्यंग्य के रूप में पेश किया गया है     

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